JNU job offer for ugc net : Controversy Over JNU 500 Offer For 90 Minute Class remedial tutor professor

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90 मिनट की क्लास के 500 रुपये। और पैसे भी तब मिलेंगे जब फंड होगा। यह जॉब ऑफर किसी गली-कूचे के कोचिंग संस्थान का नहीं बल्कि देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का है। जेएनयू के अरबी और अफ्रीकी अध्ययन केंद्र (भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन स्कूल) की ओर से निकाले गए इस नोटिस की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है। 18 सितंबर 2023 को जारी  नोटिस में यूजीसी नेट पास अभ्यर्थियों से रेमेडियल ट्यूटर पदों के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें कहा गया है कि धन की उपलब्धता के आधार पर 90 मिनट की क्लास के लिए 500 रुपये का मानदेय दिया जाएगा।

सिर्फ 500 रुपये के मानदेय और उस पर भी धन की उपलब्धता की शर्त से लोग हैरान हैं। सोशल मीडिया पर जेएनयू प्रशासन के खिलाफ तीखी टिप्पणियां की जा रही हैं। जेएनयू में इतिहास के पीएचडी छात्र अभय कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, “जेएनयू के प्रोफेसरों को लाखों में वेतन मिलता है और 90 मिनट तक रेमेडियल क्लास लेने के लिए एक गेस्ट प्रोफेसर को केवल 500 रुपये का भुगतान किया जाता है। इससे ज्यादा शर्मनाक और शोषणकारी और कुछ नहीं हो सकता।”

विश्वविद्यालय के एक अन्य शोधार्थी सैयब बिलावल ने पोस्ट किया, “जेएनयू की यह शर्मनाक स्थिति है। प्रति 1.5 घंटे पढ़ाने के लिए 500 रुपये की नौकरी की पेशकश (वो भी फंड की उपलब्धता के अधीन)। हां, वे पैसा न भी देने का फैसला कर सकते हैं। कम से कम ऐसे काम के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय के पे-लेवल को बनाए रखा जाना चाहिए।”

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक अरबी और अफ्रीकी अध्ययन केंद्र के प्रमुख मुजीबुर रहमान ने कहा, ‘क्लास के वेतन का निर्धारण यूनिवर्सिटी की ओर से किया गया है। हमारा इससे कोई लेना देना नहीं है। हमारे कार्यालय के पास यह प्रोफार्मा था और उन्होंने उसी आधार पर यह नोटिस जारी किया।’ उन्होंने कहा कि केंद्र ने तीन रेमेडियल ट्यूटरों की भर्ती के लिए यह नोटिस जारी किया है। 

जेएनयूएसयू के एक पूर्व पदाधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय में एक ऐसा सिस्टम चला रहा है जिसमें स्टूडेंट्स समझने में कुछ खास मुश्किल विषयों की रेमेडियल क्लास (प्रोब्लम सोल्विंग क्लास की तरह) ले सकते हैं। रेगुलर शिक्षकों के पास कक्षाओं में सीमित समय होता है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि रेमेडियल क्लासेज में छात्रों को पढ़ाने के लिए पीएचडी छात्रों को नियुक्त किया जाता है। 

जेएनयू ने अपनी वेबसाइट या सोशल मीडिया हैंडल पर इस मुद्दे पर आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है।

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