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बसपा सांसद दानिश अली पर बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी की गालियों ने विपक्ष का सुर एक कर दिया है। दानिश अली से मुलाकात के बाद गले लगाकर राहुल गांधी ने बड़ा संकेत दिया है। राहुल की हमदर्दी के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि दानिश अली 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में चुनाव जीते थे, वह समाजवादी पार्टी के भी हैं। बीजेपी और बीएसपी के सांसद की लड़ाई से यूपी में इंडिया गठबंधन में मायावती की एंट्री को लेकर अटकलें लगने लगी हैं। लेकिन सवाल यही है कि अभी तक बीजेपी और कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रहीं मायावती के लिए क्या दानिश अली इंडिया गठबंधन में एंट्री का दरवाजा खोल पाएंगे?
सियासी जानकारों की मानें तो जयंत चौधरी की आरएलडी और यूपी कांग्रेस के कई नेता चाहते हैं कि बसपा भी गठबंधन में रहे ताकि दलित या मुसलमान वोटरों में एक रत्ती कन्फ्यूजन ना हो। 2019 में सपा-बसपा-आरएलडी साथ लड़े थे। फिलहाल इंडिया में सपा, आरएलडी और कांग्रेस है। मायावती कांग्रेस और बीजेपी दोनों से दूरी बनाकर चल रही हैं लेकिन विपक्षी दल इसे बीजेपी को फायदा पहुंचाने वाला कदम बताते हैं।
विपक्ष के नेताओं का आरोप है कि मायावती बीजेपी की मदद कर रही हैं। लेकिन इस बार भिड़ंत बीजेपी और बीएसपी के सांसद में हो गई है। इससे मायावती के लिए बीजेपी को प्रत्यक्ष या परोक्ष फायदा पहुंचाने वाला कोई कदम उठाना अब मुश्किल होगा।
कांग्रेस और आरएलडी चाहती है कि बसपा साथ आए
उत्तर प्रदेश के दलितों में सबसे बड़ी आबादी जाटव समुदाय की है। कुल दलित आबादी का 50 फ़ीसदी हिस्सा जाटव हैं। मायावती ख़ुद इसी समुदाय से आती हैं। मायावती का ग्राफ गिरा पर अभी उनका बड़ा वोट बैंक है। यही वजह कि आरएलडी और कांग्रेस चाहती कि मायावती इंडिया गठबंधन में आएं और दलित और मुस्लिम गठजोड़ को मजबूती मिले।
बसपा इंडिया का हिस्सा नहीं तो किसे फायदा किसे नुकसान
यूपी में कहा जा रहा है कि बसपा वोट बैंक खिसक रहा है। दलितों में एक तबका बहन जी की पार्टी से मूव कर चुका है। लेकिन मायावती की बसपा में इतना दम ज़रूर है कि वो आने वाले चुनाव में इंडिया गठबंधन को नुकसान पहुंचा सके। माना जा रहा है कि अगर मायावती इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव नहीं लड़ती हैं तो ज़्यादा नुकसान इंडिया गठबंधन को हो सकता है। ऐसी स्थिति में भाजपा को फायदा होगा। भाजपा की चाहत यही है कि बसपा विपक्षी गठबंधन का हिस्सा न बने।
मायावती के लिए अहम है यह चुनाव, चुनौतियां भी
मायावती के लिए लोकसभा चुनाव काफी अहम है और उनकी पार्टी के लिए अस्तित्व बचाने की लड़ाई होगी। 2019 के चुनाव में सभी पुरानी बातों को भूलते हुए उन्होंने अखिलेश यादव से गठबंधन किया जिसका सबसे ज्यादा फायदा बसपा को हुआ। सपा तो 2014 की तरह 2019 में भी पांच सीट पर रही। लेकिन बसपा को 2014 के जीरो के मुकाबले 2019 में 10 सीट पर जीत मिल गई। फिर भी मायावती ने गठबंधन को तोड़ते वक्त सपा का वोट न मिलने का आरोप लगाया। फिर यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव बसपा अपने दम पर लड़ी और मात्र एक सीट जीत पाई।
लोकसभा चुनाव में बसपा की स्थिति
वर्ष जीते वोट प्रतिशत
2019 10 19.4
2014 शून्य 19.77
2009 20 27.42
2004 19 6.66
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