MS Swaminathan started Green Revolution at Jaunti village first time High yielding variety of wheat was sown in 1964 – India Hindi News

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देश में ‘हरित क्रांति’ के जनक कहे जाने वाले प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का गुरुवार को चेन्नई में निधन हो गया। उन्होंने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में अहम योगदान दिया था, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। चेन्नई से दूर उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जौंती गांव के किसान भी स्वामीनाथन को उनके द्वारा लाई गई’हरित क्रांति’ को याद कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और हरियाणा की सीमा पर बसा जौंती वही गांव है, जहां  गेहूं की अधिक उपज देने वाली किस्मों को पहली बार 1964 में लगभग 70 एकड़ जमीन पर बोया गया था। इसी गांव से देश और दुनिया ने गेहूं की पैदावार में आई क्रांति और हरित क्रांति की धमक और धाक देखी थी।

जौंती गांव के किसान स्वामीनाथन को याद कर रहे हैं। हुकुम सिंह छिकारा जिनकी भूमि पर पहली बार गेहूं बोया गया था, ने जब गुरुवार को स्वामीनाथन की मौत के बारे में सुना तो कहा,  “वह एक सज्जन और मेहनती व्यक्ति थे, जिन्होंने हमारे लिए और दुनिया के लिए अच्छा काम किया।” इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए  93 वर्षीय राममेहर सिंह, जिनके पिता चौधरी भूप सिंह भी जौंती के पहले किसानों में से थे, जिन्होंने अपने खेत में अधिक उपज देने वाली किस्म बोई थी, ने कहा, “उन्होंने पूरे देश को गेहूं से भर दिया था। उन्होंने हरित क्रांति की शुरुआत के लिए हमारे गांव को चुना। दूसरी जगहों से किसान यहां बीज खरीदने आते थे और उस समय खूब बिक्री होती थी।”

स्वामीनाथन के निर्देश पर 1965 में, जवाहर जौंती बीज सहकारी समिति की स्थापना की गई थी। जो किसान इसका हिस्सा थे, उन्होंने गेहूं के खूब बीज बेचे थे। 73 वर्षीय राधा सिंह पुरानी याद को ताजा करते हुए कहते हैं, “स्वामीनाथन ने 1967 में सहकारी समिति के बीज-प्रसंस्करण केंद्र का उद्घाटन करने के लिए प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को गांव में बुलाया था, यह भी गर्व की बात है।”  सिंह ने कहा, “वह लगभग हर साल गांव का दौरा करते थे।” बीज-प्रसंस्करण केंद्र अब दिल्ली सरकार का औषधालय है, जो इसके इतिहास को दर्शाता एक लुप्त होता बोर्ड है।

चौधरी भूप सिंह के पोते ओम प्रकाश छिकारा के लिए स्वामीनाथन उनके परिवार का हिस्सा थे, जिन्होंने गाँव को बहुत कुछ दिया है। एक सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक ओम प्रकाश, जिनके परिवार के पास 16 एकड़ जमीन है, ने कहा कि नई किस्मों के साथ, उपज बढ़ी और हमारी समृद्धि भी बढ़ी। लगभग 14 एकड़ जमीन के मालिक 60 वर्षीय आर्य कुलदीप ने कहा, “हमारा गांव डॉ. स्वामीनाथन के कारण जाना जाता है। ‘हरित क्रांति’ यहीं से शुरू हुई और उनका काम आज भी मेरी पीढ़ी और पुराने लोगों के बीच चर्चा का विषय है।’

जिस वक्त जौंती गांव में हरित क्रांति की शुरुआत की गई थी, उस वक्त खेतों की सिंचाई के लिए एक नहर से पानी मिलता था और यह क्षेत्र बहुत उपजाऊ था। अब उस नहर ने पानी लाना बंद कर दिया है और यहां भूजल स्तर भी गिर चुका है। । यहां के लोग अब खेती से ध्यान हटाकर नौकरियों की ओर बढ़ रहे हैं।

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