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Samajwadi Party on Caste Census: बिहार की जातिगत जनगणना की रिपोर्ट के खुलासे के बाद यूपी की सियायत भी जातीय जनगणना की पिच पर फिर लौटेगी? इस सवाल को सियासी दल अपने-अपने हिसाब से मथने लगे हैं, पर सबसे ज्यादा उत्साहित तो ‘इंडिया’ गठबंधन की घटक समाजवादी पार्टी दिखती है। अखिलेश यादव ने कहा है कि अब ये निश्चित हो गया है कि पीडीए ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा।
पार्टी का मानना है कि बिहार में जातिवार आंकड़े जो आए हैं, उससे यूपी का परिदृश्य बहुत अलग होगा और जातिगत जनगणना यहां हो जाए तो पूरी तस्वीर वही उभरेगी। इसलिए पार्टी अब अपने पुराने नारे जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी भागीदारी को फिर से उछालने में लगी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने संकेत दिया है कि बिहार से आई रिपोर्ट उनके पीडीए के मुद्दे को बड़ा उछाल देगी। वैसे तो सपा, कांग्रेस की ओबीसी वोट बैंक की हिस्सेदारी के लिए सक्रियता से बेचैन है, लेकिन यह भी सही है कि ‘इंडिया’ गठबंधन पूरे देश में एक सुर में जातिगत जनगणना पर जोर देने की तैयारी में है। सपा इसे सकारात्मक मुहिम मान रही है। माना जा रहा है कि यूपी 40 से 45 प्रतिशत तक ओबीसी होंगे जबकि बिहार में यह ओबीसी 63 प्रतिशत निकले। सपा ने पिछले चुनाव में 20 बनाम 80 का नारा दिया था।
सपा के घोषणा पत्र का सबसे अहम हिस्सा
सपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव व 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने चुनावी घोषण पत्र में जातिगत जनगणना का वायदा किया था। और अब 2024 के चुनाव में सपा इसे अपना सबसे बड़ा चुनावी वायदा बनाने जा रही है और इसे अपने आने वाले चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन व अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल करवाएगी।
सभी वर्गों पर जोर
एक ओर भाजपा अपने हिंदुत्व व राष्ट्रवाद पर जोर देती है तो वहीं ओबीसी व दलित को साधने के लिए भी जतन करती है। इसका लाभ उसे पिछले कई चुनावों में मिल रहा है और लगातार जीत रही है। दूसरी तरफ सपा पहले एमवाई व अब पीडीए पर जोर दे रही है तो साफ्ट हिंदुत्व की राह भी चलती दिखती है। इस कोशिश में उसकी सीटें भी पिछले विधानसभा चुनाव में 111 हो गईं।
पीडीए ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा अखिलेश
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार अब राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना कराए। अखिलेश यादव ने बिहार की जातिगत जनगणना रिपोर्ट पर यह प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, बिहार जाति आधारित जनगणना प्रकाशित ये है सामाजिक न्याय का गणतीय आधार। जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी और जो लोग प्रभुत्वकामी नहीं हैं बल्कि सबके ह़क के हिमायती हैं, वो इसका समर्थन भी करते हैं और स्वागत भी। अखिलेश ने आगे लिखा, जब लोगों को ये मालूम पड़ता है कि वो गिनती में कितने हैं, तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है , जिससे उनकी एकता बढ़ती है। अब ये निश्चित हो गया है कि पीडीए ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा।
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